New Horror Story। न्यु हॉरर स्टोरी। 1000 टन सोने का रहस्य
नमस्कार दोस्तों, इस Article में Excited Indian के Team के द्वारा आपको "1000 टन सोने का रहस्य" New Horror Story लिखा जा रहा है। आपसे सिर्फ एक ही अनुरोध है कि आप इसे मात्र इसे शुरु से लेकर अंत तक पुरा जरुर पढ़ें। अगर आप ऐसा करेंगे तो हमारे Team का मेहनत सफल हो जायेगा। जिससे कि हम ऐसे ही मजेदार और रहस्यमयी कहानीयाँ लिखने के लिए Motivate होंगें।
तो दोस्तों चलिए इस कहानी New Horror Story को शुरु करते है:-
New Horror Story |
आज जो मै आपको बताने जा रहा हु वो कोई कहानी या किस्सा नहीं बल्कि हकीकत है जो उस देश की सच्ची घटना है जिसे कभी सोने की चिड़िया कहा जाता था | लेकिन ब्रिटिश सरकार सारा सोना भारत से लुटकर ले गये | लेकिन अभी भी भारत के कई हिस्सों में प्राचीन समय के लोगो के द्वारा गडा हुआ बहुत सा धन है जिसे वो चोरी हो जाने के डर से जमीन में गाड़ देते थे |
और उनकी मौत के बाद वो सोना चांदी बस धरती के गर्भ में ही रह जाता है | ऐसा ही एक घटना आजकल यूपी के उन्नाव जिले के डौंडिया खेड़ा गांव में हो रही है जहा के एक साधू शोभन सरकार को वहा के राजा राम बक्ष की आत्मा ने उनको जमीन में गडा 1000 टन सोने का रहस्य बताया जो आज के सोने के रेट के हिसाब से इसकी कीमत आंकें तो 29 खरब रुपये के लगभग बैठती है. |
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कौन थे राजा राम बक्ष ? कहा से आया सोना ? कैसे मौत हुई राजा की ? आइये इन सारे पहलुओ पर प्रकाश डाले इतिहासकार चंद्रकांत तिवारी के अनुसार , क्रांतिकारी शूरवीर राजा ने सन् 1857 की क्रान्ति के दौरान अंग्रेजों के छक्के छुडा दिए थे। वह कौन थे और कब से वह इस किले में रह रहे थे ये किसी को स्पष्ट मालूम नहीं है।यहां के इतिहासकारों की माने तो 2 जून 1857 की क्रान्ति में डिलेश्वर मंदिर में छिपे बारह अंग्रेज को जिन्दा जला दिया था। इसमें जनरल डीलाफौस भी मौजूद थे।
कहा जाता है कि राजा चंडिका देवी के बहुत बड़े भक्त थे। वह रोजाना सुबह मां चंडिका का दर्शन करने के बाद ही सिंघासन पर बैठते थे।लोगों के अनुसार राजा राव राम बक्स सिंह पूजा करने के बाद अपने गले में एक गेंदे के फूल की माला जरुर पहनते थे। यही वजह है कि जब अंग्रेजो ने उनको अंग्रेजो को जिन्दा जलाने की सजा के रूप में फांसी की सजा सुनाई गयी,
और उनको फांसी पर लटकाई गयी तो उन्हें कुछ नहीं हुआ। इस तरह तीन बार उनको फांसी दी गयी मगर राजा को कुछ नहीं हुआ।तब राजा राव राम बक्स सिंह ने अपने गले में पड़े फूल की माला को उतार कर फेंका और गंगा से अपनी आगोश में लेने की प्रार्थना की। उसके बाद जब अंग्रेजो ने उनको फांसी पर लटकाया तब उनके प्राण शारीर से निकला था।
ढौंडिया खेड़ा के बुजुर्गों का कहना है कि यह खजाना बड़ा तिलिस्मी है। 18 तारीख से सोने की खोज शुरू करने वाली ‘एएसआई’ की स्टडी भी इस बात की तस्दीक करती है कि खजाने को हासिल करना बहुत टेढ़ा काम है। अध्ययन के अनुसार , ढौंडिया खेड़ा के प्रतापी राजा राम बक्श के जिस किले में सोने का खजाना दबा होने की बात कही है उस किले को तिलक चंडी राजपूत ने 17वीं शताब्दी के दौरान बनाया था।
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ओमजी तर्क देते हैं कि भले ही राजा को फांसी हुए 150 साल से अधिक हो चुके हों लेकिन पांच साल पहले तक गांव के बच्चों तक ने राजा साहब को सफेद घोड़े पर चार-पांच सैनिकों के साथ मंदिर आते और किले की रक्षा करते देखा है। ग्राम प्रधान अजयपाल सिंह भी हां में हां मिलाते हुए कहते हैं कि उस इलाके में घोड़े की छाप और मंदिर में किसी के रोज पूजा करने के निशान अब भी दिखते हैं। हालांकि ख्वाबों के खजानों का यह दावा अब भी विशेषज्ञों को हैरत में डाले है।
ऐसा माना जाता है कि ताल्लुकदार ने पहले खजाना दबाया और फिर किले का निर्माण किया। कुछ लोगों का यह भी कहना है कि अंग्रेजों के खिलाफ लड़ने वाली कई रियासतों के राजाओं ने राजा राम बक्श के किले को सुरक्षित मानते हुए अपना खजाना वहां पर दबाव दिया था। एसआई व भूगर्भ वैज्ञानिकों की जांच के मुताबिक, किले में 15 फुट नीचे खजाना मिलने की संभावना जताई जा रही है। इसमें दबे सोने की कीमत करीब तीन लाख करोड़ रुपये बताई जा रही है।
स्वामी ओम के मुताबिक राजा राव बख्श सिंह सपने में नहीं आए थे, बल्कि साक्षात प्रकट हुए थे|तभी उन्होंने सरकार से सोना निकलवाने की बात कही थी|मरा हुआ राजा घोड़े पर घूमता था ओम स्वामी के अनुसार दिवंगत राजा राव बख्श पांच साल पहले तक इस इलाके में घोड़े पर सवार होकर घूमा करते थे|वे किले के आस पास घूमा करते थे| उन्हें इस इलाके के कई लोगों ने देखा है|स्वामी के मुताबिक गांव दौड़िया खेड़ा का बच्चा-बच्चा आपको इसके बारे में बताएगा|
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गांव के ही एक और बुजुर्ग आदमी सीताराम ने बताया कि जब उनकी उम्र दस साल की थी, तक एक बार सरकार ने यहां खुदाई करवाना चाहा था। इसके लिए करीब एक दर्जन के आसपास मजदूर भी लगाए गए थे। मगर कहते हैं कि जैसे ही मजदूरों ने इस किले में खुदाई आरम्भ की उसी समय वहां कई सांपों ने मजदूरों पर हमला बोल दिया था। इसमें दो मजदूर की मौत भी हो गयी थी। इसके बाद से वहां खजाने को लेकर कोई खुदाई नहीं की गयी।
पुरातत्व विभाग की टीम ने 12 अक्टूबर से कैंप लगा कर सफाई का काम शुरू कर दिया है। 18 अक्टूबर से स्वर्ण भंडार की खुदाई का काम शुरू हो गया है। उन्नाव के पुरवा क्षेत्र के एक ही परिवार के चार लोग राजा के वारिस होने की बात कह रहे हैं। उन्होंने प्रशासन से स्वर्ण भण्डार में अपना हक लेने की बात कही है। साथ ही राजा के किले में कुछ ज़मीन पर अपना घर बनवाने की बात कही है।
तो दोस्तों, आपको इस कहानी New Horror Story न्यु हॉरर स्टोरी "1000 टन सोने का रहस्य" को पुरा पढ़ने के लिए तहे दिल से शुक्रिया, धन्यवाद। अगर आपको यह कहानी पसंद आया है तो आप इसे शेयर जरूर करें।
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