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Bachcho Ko Shiksha Dene Wali Kahani (बच्चों को शिक्षा देने वाली कहानी)

बच्चों को शिक्षा देने वाली कहानी (Bachcho Ko Shiksha Dene Wali Kahani)


नमस्कार दोस्तों, ये कहानी खासकर बच्चों को शिक्षा देने वाली कहानी (Bachcho Ko Shiksha Dene Wali Kahani) है। इस कहानी में मुरारी और उसके बेटे कि कहानी है। मुरारी एक चोर है। लेकिन मुरारी बेटा पढाई में बहुत ही अच्छा है। आगे क्या होता है आपको तभी पता चलेगा जब आप इस कहानी को शुरु से लेकर अंत तक पुर ध्यान से पढ़ेंगे।



लेकिन ये बात मैं पुरे यकिन के साथ कह सकता हुँ कि आपको इस कहानी से कुछ न कुछ सिखने को जरुर मिलेगा। बस आपको अपनी अंदर कि  जानकारी को बड़ाने के लिए लिए आप इस कहानी को शुरु से लेकर अंत तक जरुर पढ़े। और जो आपको सिखने को मिला वो आप नीचे Comment में और अपने समाज में इस कहानी को जरुर सुनायें।


Bachcho Ko Shiksha Dene Wali Kahani - Excited Indian
Bachcho Ko Shiksha Dene Wali Kahani


तो चलिए इस कहानी को शुरु करते है:-


ईमानदारी की कहानी – ईमानदारी ही सबसे बड़ा धन है


मुरारी लाल अपने गाँव के सबसे बड़े चोरों में से एक था। मुरारी रोजाना जेब में चाकू डालकर रात को लोगों के घर में चोरी करने जाता। पेशे से चोर था लेकिन हर इंसान चाहता है कि उसका बेटा अच्छे स्कूल में पढाई करे तो यही सोचकर बेटे का एडमिशन एक अच्छे पब्लिक स्कूल में करा दिया था।



        मुरारी का बेटा पढाई में बहुत होशियार था लेकिन पैसे के अभाव में 12 वीं कक्षा के बाद नहीं पढ़ पाया। अब कई जगह नौकरी के लिए भी अप्लाई किया लेकिन कोई उसे नौकरी पर नहीं रखता था।



        एक तो चोर का बेटा ऊपर से केवल 12 वीं पास तो कोई नौकरी पर नहीं रखता था। अब बेचारा बेरोजगार की तरह ही दिन रात घर पर ही पड़ा रहता। मुरारी को बेटे की चिंता हुई तो सोचा कि क्यों ना इसे भी अपना काम ही सिखाया जाये। जैसे मैंने चोरी कर करके अपना गुजारा किया वैसे ये भी कर लेगा।



        यही सोचकर मुरारी एक दिन बेटे को अपने साथ लेकर गया। रात का समय था दोनों चुपके चुपके एक इमारत में पहुंचे। इमारत में कई कमरे थे सभी कमरों में रौशनी थी देखकर लग रहा था कि किसी अमीर इंसान की हवेली है।


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        मुरारी अपने बेटे से बोला – आज हम इस हवेली में चोरी करेंगे, मैंने यहाँ पहले भी कई बार चोरी की है और खूब माल भी मिलता है यहाँ। लेकिन बेटा लगातार हवेली के आगे लगी लाइट को ही देखे जा रहा था। 



        मुरारी बोला – अब देर ना करो जल्दी अंदर चलो नहीं तो कोई देख लेगा। लेकिन बेटा अभी भी हवेली की रौशनी को निहार रहा था और वो करुण स्वर में बोला – पिताजी मैं चोरी नहीं कर सकता।



मुरारी – तेरा दिमाग खराब है जल्दी अंदर चल



        बेटा – पिताजी, जिसके यहाँ से हमने कई बार चोरी की है देखिये आज भी उसकी हवेली में रौशनी है और हमारे घर में आज भी अंधकार है। मेहनत और ईमानदारी की कमाई से उनका घर आज भी रौशन है और हमारे घर में पहले भी अंधकार था और आज भी



        मैं भी ईमानदारी और मेहनत से कमाई करूँगा और उस कमाई के दीपक से मेरे घर में भी रौशनी होगी। मुझे ये जीवन में अंधकार भर देने वाला काम नहीं करना। मुरारी की आँखों से आंसू निकल रहे थे। उसके बेटे की पढाई आज सार्थक होती दिख रही थी।




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        मित्रों।


बेईमानी और चोरी से इंसान क्षण भर तो सुखी रह सकता है लेकिन उसके जीवन में हमेशां के लिए पाप और अंधकार भर जाता है। हमेशा अपने काम को मेहनत और ईमानदारी से करें। बेईमानी की कमाई से बने पकवान भी ईमानदारी की सुखी रोटी के आगे फीके हैं। कुछ ऐसा काम करें कि आप समाज में सर उठा के चल सकें।



        दोस्तों, सबसे पहले तो मैं आपका बहुत- बहुत धन्यवाद करता हुं कि आपने इस कहानी को Bachcho Ko Shiksha Dene Wali Kahani शुरु से लेकर अंत तक आपने पढ़ा। अब आप बस एक मिनट का समय निकालकर निचे Comment में ये भी बता ही दिजिये कि आपको ये कहानी कैसा लग और आपको क्या सिखने को मिला। 



        तो चलिए दोस्तों, आज के इस कहानी में बस इतना ही। अगर आपको इसी तरह की ज्ञान देने वाला कहानी पढ़ना है तो आप निचे दिए गये कहानी पर Click कर उसे पुरा जरुर पढ़े।



धन्यवाद...



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