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Prernadayak Kahani Bataiye ( प्रेरणादायक कहानी बताइये)

Prernadayak Kahani Bataiye ( प्रेरणादायक कहानी बताइये)

नमस्कार दोस्तों, बहुत सारे लोग मुझे ये Comment कर रहे थे आप एक (Prernadayak Kahani Bataiye) |प्रेरणादायक कहानी बताइये | तो आज मैं आपको एक प्रेर्णादायक कहानी  (Prernadayak Kahani) बताने वाला हुँ। दोस्तों इस कहानी का शीर्षक है "सोच का फर्क" । 



सबसे पहले मैं हर बार के तरह फिर से ये कहने वाला हुँ कि आप इस कहानी को शुरु से लेकर अंत तक पुरा जरुर पढ़े। क्योंंकि मेरा मानना ये है कि अगर आप किसी काम को आधा-अधुरा करते है तो फिर आप उस काम मे सफल नही हो पाते है। ठीक उसी तरह अगर आप कोई आधी-अधुरी जानकारी प्राप्त करते है तो मेरे अनुमान से शायद वो उतना कारगर साबित नहीं होता है। इसलिए आप इस कहानी को पुरा शुरु से लेकर अंत तक पुरा जरुर पढे।



Prernadayak Kahani Bataiye - Excited Indian
Prernadayak Kahani Bataiye



तो चलिए इस कहानी को शुरु करते है:- 



सोच का फ़र्क


क शहर में एक धनी व्यक्ति रहता था, उसके पास बहुत पैसा था और उसे इस बात पर बहुत घमंड भी था| एक बार किसी कारण से उसकी आँखों में इंफेक्शन हो गया|


        आँखों में बुरी तरह जलन होती थी, वह डॉक्टर के पास गया लेकिन डॉक्टर उसकी इस बीमारी का इलाज नहीं कर पाया| सेठ के पास बहुत पैसा था उसने देश विदेश से बहुत सारे नीम- हकीम और डॉक्टर बुलाए| एक बड़े डॉक्टर ने बताया की आपकी आँखों में एलर्जी है| आपको कुछ दिन तक सिर्फ़ हरा रंग ही देखना होगा और कोई और रंग देखेंगे तो आपकी आँखों को परेशानी होगी|


        अब क्या था, सेठ ने बड़े बड़े पेंटरों को बुलाया और पूरे महल को हरे रंग से रंगने के लिए कहा| वह बोला- मुझे हरे रंग से अलावा कोई और रंग दिखाई नहीं देना चाहिए मैं जहाँ से भी गुजरूँ, हर जगह हरा रंग कर दो|


        इस काम में बहुत पैसा खर्च हो रहा था लेकिन फिर भी सेठ की नज़र किसी अलग रंग पर पड़ ही जाती थी क्यूंकी पूरे नगर को हरे रंग से रंगना को संभव ही नहीं था, सेठ दिन प्रतिदिन पेंट कराने के लिए पैसा खर्च करता जा रहा था|



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        वहीं शहर के एक सज्जन पुरुष गुजर रहा था उसने चारों तरफ हरा रंग देखकर लोगों से कारण पूछा| सारी बात सुनकर वह सेठ के पास गया और बोला सेठ जी आपको इतना पैसा खर्च करने की ज़रूरत नहीं है मेरे पास आपकी परेशानी का एक छोटा सा हल है.. आप हरा चश्मा क्यूँ नहीं खरीद लेते फिर सब कुछ हरा हो जाएगा|


        सेठ की आँख खुली की खुली रह गयी उसके दिमाग़ में यह शानदार विचार आया ही नहीं वह बेकार में इतना पैसा खर्च किए जा रहा था|


        तो मित्रों, 


जीवन में हमारी सोच और देखने के नज़रिए पर भी बहुत सारी चीज़ें निर्भर करतीं हैं कई बार परेशानी का हल बहुत आसान होता है लेकिन हम परेशानी में फँसे रहते हैं| 



तो मित्रों इसे कहते हैं सोच का फ़र्क


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तो दोस्तो, सबसे पहले तो मैं आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करता हुँ कि मेरे कहने पर आपने अपना किमती समय देकर इस कहानी को पढ़ा।  उम्मीद करते है कि आपको ये कहानी पसंद जरुर आया होगा। अगर आपको ये कहानी पसंद आया है तो कृप्या आप इस कहानी को अपने दोस्तों के साथ शेयर जरुर करें। इसके अलावा आपको ये कहानी कैसा लगा? नीचे मुझे Comment   में जरुर बताइयें।


अगर आप इसी तरह के छोटी- छोटी और ज्ञानवर्धक कहानी पढ़कर अपना ज्ञान बड़ाना चाहते है तो आप नीचे दिए गये कहानी को भी जरुर पढिए।


तो चलिए दोस्तों, आज के किस कहानी में बस इतना ही।


नीचे दिए गये कहानी को भी आप जरुर पढ़िये 


धन्यवाद...


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